Thursday, February 20, 2020

" वसुधैवकुटुमबकम "

भारतीय संस्कृति की  सदैव " बहुजन सुखाय बहुजन हिताय " की सोच रही है जिस की परिणती " वसुधैवकुटुमबकम " है ! इस के लिये भारत वासियों ने असंख्य बलिदान दिये है ! अनेकों कठिनाईयों का सामना करना पड़ा , आज ऐसी विकट परिस्थिति में हमे बुद्धिमत्ता पूर्वक कठोर क़दम उठाने होंगे !,

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