भारतीय संस्कृति की सदैव " बहुजन सुखाय बहुजन हिताय " की सोच रही है जिस की परिणती " वसुधैवकुटुमबकम " है ! इस के लिये भारत वासियों ने असंख्य बलिदान दिये है ! अनेकों कठिनाईयों का सामना करना पड़ा , आज ऐसी विकट परिस्थिति में हमे बुद्धिमत्ता पूर्वक कठोर क़दम उठाने होंगे !,
No comments:
Post a Comment