Monday, April 03, 2017

बचपन से

बचपन से ही धार्मिक विचार और भक्ति रस से ओत प्रोत मै विवाह के प्रति
उदासीन थी । लेकिन अभिभावक कब मानने वाले थे,उन्हें ने कहा "तुम्हें शादी करनी ही होगी वहाँ,जहाँ हम कहेंगे" मैने कहा यदि यह ज़रूरी ही है तो एस कृष्ण जी का नाम मैने लिया,मेरी आत्मा ने जैसा कहा है कि मेरे इस जन्म के पति वे ही हैं,उन से करवा दीजिये ! मैने सदैव अपनी आत्मा की आवाज़ सुनी है और निर्णय लिये हैं । मेरी माता जी,मै उन्हें और वो मुझे बहुत प्यार करतीथीं, उन्हें यह आभास था कि शायद विवाह बाद मैं सुखी नही रह पाऊँ गी,घोर विरोध किया ! अंत में कृष्ण जी के मित्र के घर पर मेरी ससुराल वालों के समक्ष हमारा विवाह सम्पन्न
हुआ साधारण ढंग से ! इस शादी मे मेरे परिवार वालों की ओर से कोई शामिल
नही हुआ ! क्रमश !

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